<div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>नई दिल्ली:</strong> बोहरा मुस्लिम समुदाय में औरतों का खतना करने की प्रथा के खिलाफ दायर याचिका पर आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई. बोहरा समुदाय की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस व्यवस्था का पुरज़ोर बचाव किया. हालांकि, कोर्ट उनकी दलीलों से सहमत नज़र नहीं आया. सुनवाई 9 और 10 अगस्त को जारी रहेगी.</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>अनिवार्य धार्मिक नियम</strong></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "इस प्रथा का अस्तित्व 11वीं सदी में भी था. इमाम तैय्यब के एकांत में चले जाने के बाद 'दाई उल मुतलक़' का पद सामने आया. वही बोहरा मुसलमानों के सर्वोच्च धार्मिक नेता होते हैं. उनका दर्जा इमाम जैसा है. उनके बताए धार्मिक नियमों को मानना बोहरा मुसलमानों के लिए अनिवार्य है."</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>बोहरा प्रगतिशील समाज</strong></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">सिंघवी ने आगे कहा, "बोहरा समुदाय 100 फीसदी साक्षरता वाला प्रगतिशील समाज है. इसमें डॉक्टर और तमाम उच्च शिक्षित लोग हैं. महिला-पुरूष एक साथ मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं. तलाक ए बिद्दत जैसी कुप्रथा को ये समाज नहीं मानता. मुल्क से प्यार इस समुदाय के बुनियादी 7 नियमों में से एक है."</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>अफ्रीका से तुलना</strong></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">सिंघवी ने कहा, "बोहरा समुदाय तहारत यानी शुद्धता की अनिवार्यता के चलते औरतों का खतना करता है. लेकिन तरीका क्रूर नहीं है. इससे किसी महिला को नुकसान पहुंचने के उदाहरण बेहद कम हैं. याचिकाकर्ता अफ्रीका में प्रचलित क्रूर रस्म का हवाला दे रहे हैं, जहां एक किस्म से अंग-भंग किया जाता है."</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>कोर्ट का दखल</strong></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में सुनवाई कर रही 3 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने दखल देते हुए कहा, "हमें बताया गया है कि ये प्रक्रिया हॉस्पिटल में नहीं की जाती. माँ और डॉक्टर के अलावा तीसरा व्यक्ति बच्ची का जननांग को छूता है. बिना एनेस्थेसिया के तकलीफदेह तरीके से इसे अंजाम दिया जाता है."</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>आइंदा डॉक्टर से करवाएंगे</strong></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">जवाब में सिंघवी ने कहा, "इसे वो दाई अंजाम देती है, जो पीढ़ियों से यही काम कर रही है. अब लोग डॉक्टर के पास भी इस प्रक्रिया के लिए जाते हैं. हम कोर्ट में ये वचन देने को तैयार हैं कि अब से सिर्फ डॉक्टरों के हाथों ही लड़कियों का खतना करवाया जाएगा."</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>कोर्ट का इनकार</strong></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस पर मुस्कुराते हुए कहा, "क्या हम डॉक्टरों को आदेश दें कि वो मेडिकल नियमों को भूलकर इस प्रक्रिया को करें, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. बच्चियों को बेवजह ये तकलीफ क्यों दी जाए?" सिंघवी का जवाब था, "बच्चों को तकलीफ मुंडन या वैक्सिनेशन में भी होती है. वो ज़रूरी हैं, इसलिए उन्हें किया जाता है."</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "जननांग को काटने से इन चीजों की कोई तुलना नहीं है." चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने दखल देते हुए कहा, "आप बता रहे हैं कि समुदाय इस नियम को बनाए रखना चाहता है. कई औरतें भी इसके पक्ष में हैं. लेकिन ये कतई ज़रूरी नहीं कि हम बहुमत वाला दृष्टिकोण मान लें."</div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature"><strong>केंद्र ने किया याचिका का समर्थन</strong></div> <div class="m_5736782911945831529gmail_signature">एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, "दुनिया के 42 देश हर तरह का महिला खतना बंद कर चुके हैं. हम भी ऐसी प्रथा को इजाज़त नहीं दे सकते. ये प्रथा निजता के अधिकार का हनन करती है. पुरुषों का खतना स्वास्थ्य के लिहाज़ से अच्छा माना गया है. लेकिन महिला खतना का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है."</div>
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Wednesday, August 1, 2018
बोहरा मुस्लिम में महिलाओं का खतना, सुप्रीम कोर्ट समर्थन में दलीलों से सहमत नहीं
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