<p style="text-align: justify;"><strong>No Confidence Motion: </strong>अविश्वास प्रस्ताव पर सभी को विश्वास है कि जीत उसी की होगी. सत्तापक्ष 2014 लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड बहुमत के दम पर विपक्ष की बखिया उधेड़ने के इंतजार में है. तो वहीं विपक्ष का कहना है वह एकजुट है और वोटिंग के बाद साफ हो जाएगा की कौन जीत रहा है. सोनिया गांधी के इन दावों पर शिवसेना की बात सही लगती है. शिवसेना ने आज कहा कि राजनीति में फौज का आत्मविश्वा बढ़ाने के लिए गर्जनाएं करनी पड़ती है.</p> <p style="text-align: justify;">लोकसभा में संख्याबल पर गौर करें तो मोदी सरकार को फिलहाल कोई नहीं हरा सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव जैसा कदम क्यों उठाया जब उसे पता था कि हार तय है? वहीं सत्तापक्ष ने बहुमत के बावजूद विपक्ष को इतनी आसानी से मौका क्यों दिया? दरअसल, सत्तापक्ष और विपक्ष की नजर में 2019 का लोकसभा चुनाव है और वह इसी बहाने देश को कई संदेश देना चाहती है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>एकजुट दिखने की कोशिश:</strong> मोदी सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव का आइडिया वैसे तो आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) का है. लेकिन कांग्रेस की नेतृत्व वाली विपक्ष दल टीडीपी से ज्यादा मुखर दिख रही है. कांग्रेस को उम्मीद है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के दौरान सभी विपक्षी दल साथ होंगे. कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण के बाद दूसरा मौका है जब विपक्ष किसी मुद्दे पर एकजुट दिख सकती है. दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. जिन्हें हराने के लिए कोई भी एकदल माद्दा फिलहाल नहीं रखती दिख रही है. अब अविश्वास प्रस्ताव के मौके पर विपक्ष एकजुट रहकर देश को यह संदेश देना चाहती है कि वह मोदी को पटखनी देने के लिए तैयार है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/giriraj-singh-%E2%80%8Fattacks-on-rahul-gandhi-for-his-earthquakes-statement-917988">राहुल के पुराने बयान पर गिरिराज सिंह का तंज, ‘भूकंप के मज़े लेने के लिए तैयार हो जाइए’</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>सरकार के साथ कौन?:</strong> अविश्वास प्रस्ताव बजट सत्र से ही सुर्खियों में है. अब मानसून सत्र में चर्चा और वोटिंग की बारी है. सरकार के खिलाफ ज्यादातर मसलों पर मुखर होकर बयानबाजी करने वाली टीएमसी, समाजवादी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजेडी) जैसे बड़े क्षेत्रीय दलों ने असमंजस की स्थिति बना रखी है. वह विपक्षी खेमे में ही होगी, लेकिन राजनीति में यह तय है कि कुछ भी तय नहीं है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल यह देखना चाहती है कि ये दल कहां खड़ी है. वह वोट करती है या वोटिंग का बहिष्कार करती है. सरकार भी यह टटोलना चाहती है कि कौन विपक्षी खेमे में मजबूती से खड़ा है और कौन फिलहाल अकेला दिखना चाहता है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/no-confidence-motion-vote-against-nda-government-in-parliament-monsoon-session-bjp-gets-3-hours-and-33-minutes-congress-38-minutes-917634">अविश्वास प्रस्ताव: बीजेपी को बोलने के लिए 3 घंटे 33 मिनट, कांग्रेस के हिस्से 38 मिनट</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>एनडीए कितना मजबूत?:</strong> अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग कराकर सरकार यह साबित करना चाहती है कि एनडीए कितनी मजबूत है. दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली टीडीपी कुछ समय पहले तक बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए के साथ थी. 2014 चुनाव के समय एनडीए के साथ रही स्वाभिमानी शेतकारी संगठन (एसएसएस) भी एनडीए से अलग हो चुकी है. वहीं शिवसेना लगातार हमलावर है और वह लगातार बीजेपी पर दबाव बना रही है. लेकिन इन सबके बावजूद बीजेपी यह बताना चाहती है कि जो दल एनडीए में शामिल हैं वो सभी उनके साथ हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/no-confidence-motion-debate-many-big-names-from-the-bjp-and-nda-will-put-governments-side-917977">अविश्वास प्रस्ताव: कांग्रेस की तरफ से बहस की शुरुआत करेंगे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>भाषण और समय:</strong> अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा के लिए बीजेपी को सबसे अधिक 3 घंटे 33 मिनट का समय दिया गया है. वहीं कांग्रेस को 38 मिनट दिया गया है. इतने वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई दिग्गज पक्ष और विपक्ष में राय रखेंगे. एक दूसरे को इतिहास की याद दिलाएंगे. सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने कामों की तारीफ करेगा और देश को अपना विजन बताएगा. जिसके आधार पर जनता राय बनाएगी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/shiv-sena-attacks-pm-narendra-modi-in-saamana-over-oppositions-no-confidence-motion-917896">अविश्वास प्रस्ताव: वोटिंग से पहले शिवसेना का मोदी सरकार पर हमला, 'पीठ में खंजर घोंपा गया'</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>...ताकि मानसून सत्र धुल न जाए:</strong> बजट सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव से लगातर इनकार करती रही सरकार मानसून सत्र में आसानी से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के लिए तैयार हो गई. इसकी बड़ी वजह यह कि मोदी सरकार कई अहम बिल को इस सत्र में पास कराना चाहती है. सरकार को आशंका थी कि अगर अविश्वास प्रस्ताव की मांग नहीं मानी गई तो पूरा सत्र बजट सत्र की तरह की हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा.</p> <code><iframe class="vidfyVideo" style="border: 0px;" src="https://ift.tt/2mviQk7" width="631" height="381" scrolling="no"></iframe></code> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://abpnews.abplive.in/india-news/all-you-need-to-know-about-no-confidence-motion-917335">अविश्वास प्रस्ताव: जानें क्या है, जिसका इंदिरा ने 15 बार किया था सामना, मोरारजी की गिर गई थी सरकार</a></strong></p>
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Friday, July 20, 2018
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जानिए, अविश्वास प्रस्ताव पर सत्तापक्ष-विपक्ष की जीत-हार पहले से तय तो फिर चर्चा और वोटिंग क्यों?
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