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Wednesday, August 1, 2018

असम में NRC पर विवाद के बीच बिहार, बंगाल और दिल्ली में घुसपैठियों की पहचान की मांग

<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> असम के नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन की फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट में 40 लाख लोगों को नागरिक नहीं माना है. इस रिपोर्ट की चर्चा सिर्फ असम में नहीं बल्कि पूरे देश में है. देश के अलग-अलग हिस्सों से मांग उठ रही है कि वहां भी अवैध घुसपैठियों की पहचान की जाए. कहा जा रहा है कि घुसपैठिए सिर्फ असम में ही नहीं हैं बल्कि दूसरे राज्यों में भी हैं. बंगाल से लेकर दिल्ली तक नागरिकता लिस्ट बनाने की मांग हो रही है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>दिल्ली से अवैध घुसपैठियों बाहर किया जाए: मनोज तिवारी</strong> लोकसभा सांसद और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, ''हम दिल्ली में खासतौर पर उत्तरी पूर्वी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली यमुना पार के इलाकों में और बाकी इलाकों में यह समस्या है, हमारे बाकी साथी सांसदों ने भी बताया है. दिल्ली में जो अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या रह रहे हैं वो अपराध में लिप्त हो रहे हैं. वो शहरी और सभ्य नागरिकों के लिए खतरा हैं. ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें यहां से हटाया जाए. असम से हमें बड़ी सीख मिली है, यहां के भी बंग्लादेशी, रोहिंग्या को वापस भेजना चाहिए.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>असम की तरह बिहार में भी बने NRC: अश्वनी चौबे</strong> केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा, ''ऐसे घुसपैठिये चाहें बंगाल में हों, बिहार में हों या दिल्ली में इन्हें निकाल कर बाहर करना चाहिए. निश्चित रूप से बांग्लादेशी बिहार में हैं, बंगाल में हैं. निश्चित रूप से जो असम में हुआ है वो बिहार में भी होना चाहिए. बिहार हो बंगाल हर जगह करना करना चाहिए, इसमें कोई मतभेद नहीं है. ये आतकंवादियों के लिए धर्मशाला है.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>बंगाल की जनता को लगता है यहां घुसपैठिए हैं: कैलाश विजयवर्गीय</strong> कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ''घुसपैठियों का मुद्दा तो हमेशा रहेगा, जो अवैध रूप से यहां कर रहे हैं. अवैध गतिविधियों में शामिल हैं. आरबीआई की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि सबसे ज्यादा अवैध करंसी पश्चिम बंगाल से आती है. सीमावर्ती उन जिलों से आती है जहां घुसपैठिए हैं. बंगाल की जनता इस बात को महसूस कर रही है कि यहां भी एनआरसी हो, यहां भी घुसपैठियों की समस्या है.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>आज संसद में हंगामे के आसार</strong> असम के फाइनल एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर सियासत तेज हो गई है. कल राज्यसभा में एनआरसी का मुद्दा उठा था, आज भी राज्यसभा में हंगामा जारी रह सकता है. मंगलवार को इस मुद्दे पर राज्यसभा में प्रश्नकाल को स्थगित कर चर्चा शुरू हुई थी लेकिन अमित शाह के बयान के बाद हंगामा हुआ जिसके बाद राज्यसभा को आज तक के लिए स्थगित कर दिया गया था. अमित शाह ने कहा था कि हम में दम है इस वजह से हमने एनआरसी को लागू किया. इसके बाद कांग्रेस ने अमित शाह के बयान पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अमित शाह को इतिहास की जानकारी नहीं है क्योंकि एनआरसी की शुरुआत यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई थी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ड्राफ्ट के हिसाब से कार्रवाई नहीं होगी: सुप्रीम कोर्ट</strong> सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि NRC की ड्राफ्ट लिस्ट के आधार पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कल कोई निर्देश नहीं दिया लेकिन कहा अभी आप पूरी तफसील के साथ क्लेम और रिजेक्शन को लेकर मानक कार्य प्रक्रिया तैयार करें. हम उसे अपनी मंज़ूरी देंगे. हम फिलहाल चुप रहेंगे. लेकिन इस चुप्पी का मतलब ये नहीं है कि हम आपकी स्कीम से सहमत हैं या असहमत.' सुप्रीम कोर्ट के सामने स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि लोगों को बताया जाएगा कि उनका नाम क्यों नहीं आया, साथ ही नागरिकता का दावा करने के लिए फॉर्म भी 7 अगस्त से मुहैया कराया जाएगा. ये भी बताया गया कि अभी NRC की फाइनल लिस्ट नहीं आई है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>क्या कहता है एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट?</strong> असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरी ड्राफ्ट लिस्ट का प्रकाशन कर दिया गया. जिसके मुताबिक कुल तीन करोड़ 29 लाख आवेदन में से दो करोड़ नवासी लाख लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब चालीस लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं. NRC का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.</p> <p style="text-align: justify;">नए ड्राफ्ट में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. इस ड्राफ्ट से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बारे में जानकारी मिल सकेगी. असम के असली नागरिकों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा मानी गई है यानी इससे पहले से रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.</p> <code><iframe class="vidfyVideo" style="border: 0px;" src="https://ift.tt/2KfqaKc" width="631" height="381" scrolling="no"></iframe></code>

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